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आवेदन पत्र (Aavedan Patra In Hindi) Application Hindi With 5 examples

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Aavedan Patra Hello friends, aavedan patra हम किसी को तब लिखते हैं जब आपको किसी भी व्यक्ति से कोई आग्रह या कोई अनुरोध या निवेदन करना हो अथवा जब हम किसी व्यक्ति को किसी भी चीज के लिए आवेदन करते है, तब aavedan patra hindi mein लिखे जाते है. Hindi grammar में कई तरह से application hindi लिख सकते है जैसे की छुट्टी के लिए aavedan patra hindi, नौकरी के लिए aavedan patra , किसी problem को सुधारने के लिए application आदि. आवेदन पत्र कई प्रकार के हो सकते है जैसे- school संबंधित, college संबंधित, business संबंधित, problem संबंधित आदि.  1.छुट्टी के लिए प्रार्थना पत्र या आवेदन पत्र (Application for seek leave) सेवा में, श्रीमान प्राचार्य महोदय/ श्रीमति प्राचार्या महोदय, (…स्कूल का नाम…) (…सिटी का नाम…) विषय- अवकाश हेतु आवेदन पत्र/ प्रार्थना पत्र महोदय/ महोदया, विनम्र अनुरोध है मेरा नाम (…..) है. मैं आपके विद्यालय में कक्षा (…..) में अध्ययनरत हूँ. मुझे बीती रात से बहुत तेज बुखार है. चिकित्सक ने मुझे 2 दिन का आराम करने की सलाह दी है. इसीलिए आपसे में निवेदन करता हूँ/ करती हूँ की मुझे दिनांक (…...

विषय बदलने के लिए प्रार्थना पत्र (Subject Change Application In Hindi) 4 Examples

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विषय बदालने के लिए विद्यालय के प्रथानाबार्य को पत्र लिखिए।  दोस्तों आज हमने एक application for subject change लिखा है। हमने school और college के छात्रों के लिए विभिन्न प्रकार के subject change application लिखे हैं। subject change application in hindi  कक्षा 8,9,10,11 और 12 के छात्रों के लिए Hindi में subject change के लिए नया application ।  1. विषय बदलने के लिए अपने प्रधानाचार्य को लिखित आवेदन  प्रति  प्रधानाचार्य  कॉलेज/स्कूल का नाम….  पता…  विषय: विषय बदलने के लिए आवेदन  महोदय,  मैं आदरपूर्वक कहना चाहता हूं कि मैं आपके विद्यालय की कक्षा ११वीं ए का छात्र हूं, मैंने प्रवेश के समय जीव विज्ञान लिया था, लेकिन मैं जीव विज्ञान के साथ जारी रखने में असमर्थ हूं।  तो कृपया मेरे विषय को जीव विज्ञान से कला में बदल दें।  शुक्रिया जनाब  दिनांक : 20/02/20…  आपका  नाम : सुमित शर्मा  कक्षा : ११वीं ए  2. विषय बदलने के लिए कॉलेज के प्राचार्य को नमूना आवेदन  प्रति  प्रधानाचार्य  सरकार सीनियर सेकेंडरी स्क...

बस में छूट गई सामान के बारे में आवेदन पत्र (Application form regarding missing luggage in bus)

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पंजाब रोडवेज़, फरवरी के महाप्रबन्धक को बस में छूट गई सामान के बारे में आवेदन पत्र लिखिए।  सेवा में  महाप्रबन्धक  पंजाब रोडवेज  लुधियाना।  जिनक: 11.08 20…  विषय : बस में छूट गए सामान के बारे में आवेदन पत्र।  मान्यवर, अविनय निवेदन यह है कि मैंने दिनोंक 10 अगस्त, 20 .... को शाम 6.00 बजे समराला से पी। बी। 488 नम्बर की पंजाब रोडवेज, पंजाब की बस चंडीगढ़ जाने के लिए पकड़ी थी। उस समय बम में काफी भीड़ थी: मुझे खड़े होकर ही यात्रा करना पड़ा था। मैंने अपना बैग उस समय बस में सामान रखने वाली जगह पर ऊपर रख दिया था। जब चंडीगढ़ का बस अड्डा आया तो मैं अपना वैग लिए बिना ही नीचे उतर गया। जब मैं घर वापस गया तो मुझे याद आया कि मैं अपना बैंग बस में ही भूल आया हूँ। मैंने उसी समय पंजाब रोडवेज, फरवरी के कार्यालय में इस संबंध में फोन भी किया था, लेकिन मुझे कोई जवाब नहीं मिला। मुझे ऐसा लगता है कि मेरा बैग तो बस के परिचालक ने आपके पास जमा करवा दिया होगा। मैं यहाँ बताना चाहता हूँ कि मेरा बैग का रंग नीला है। उसके अंदर बनी जेब में मेरी तस्वीर भी पड़ी हुई है। इ...

निबंध - गाँव का खेल मेला (Village sports fair)

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निबंध - गाँव का खेल मेला (Village sports fair)  हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी हमारे गाँव किशनपुरा में वार्षिक खेल मेले का आयोजन किया गया। इन खेलों में ऊँची कूद, साइकिल दौड़, 100 मीटर, 200 मीटर, कबड्डी, कुश्ती तथा बैलगाड़ियों की दौड़ को शामिल किया गया सारे गाँव को दुल्हन की तरह सजाया गया था बच्चे, नौजवान, बूढ़े तथा स्वियाँ - सभी गाँव के खेल मेले को बड़े उत्साह से देखने पहुँचे। यह खेल मैला दो दिन तक चला।  खेल का उद्घाटन गाँव के सरपंच द्वारा किया गया उन्होंने खिलाड़ियों से अपील की कि वे लग्न तथा मेहनत से खेलें तथा भविष्य में देश का नाम रोशन करें पहले दिन ऊँची-कूद, साइकिल दौड़, 100 तथा 200 मीटर खेलों का आयोजन किया गया टूसरे दिन पहले कुश्ती, कबड्डी तथा साइकिल दौड़ का आयोजन किया गया कुश्ती व कबड्डी के खेल ने सभी गाँववासियों का मनोरंजन किया।  अंत में बैलगाड़ियों की दौड़ ने भी सभी का खूब मनोरंजन किया। इसके बाद 'भंगड़े' ने लोगों को नाचने पर मजबूर कर दिया। अतिथि द्वारा जीतने वाले खिलाड़ियों को इनाम बाँटे गये। सचमुच, हमारे गाँव का खेल मेला बहुत ही रोचक तथा रोमाँचकारी होता है....

निबंध - हम घर में सहयोग कैसे करें (How do we cooperate at home)

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निबंध - हम घर में सहयोग कैसे करें (How do we cooperate at home)  जोवन में सहयोग का बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है हमें सब के साथ सहयोग करना चाहिए इसका प्रारम्भ घर से करना चाहिए। हमें घर में मिलजुलकर रहना चाहिए पिता जी मेहनत से रोशी- रोशी कमाकर परिवार का पालन पोषण करते हैं।  माँ घर के कार्यों जैसे-साफ सफाई, खाना बनाना, बर्तन-कपड़े धोना आदि सभी काम करती हैं इसलिए हमें भी घर के अन्य छोटे-मोटे कार्यों में माता-पिता का हाथ बंटाना चाहिए। हम बाजार से दूध, फल, सब्जियों आदि लाकर घर में सहयोग दे सकते हैं।  बिजली, पानी और टेलीफोन का बिल समय पर जमा करवा सकते हैं। घर में डचित जगह पर चीजों को रखकर, खाना परोसकर, खाने के बाद खाने के टैबल से बर्तन उठाकर रसोईपर में रखकर, छोटे भाई-बहनों को पढ़ाकर हम घर में एक दूसरे को सहयोग दे सकते हैं।  घर के छोटे सदस्य बगीचे में लगे पौधों को पानी देकर, इधर-उधर कागज न फेंककर तथा खिलीने आदि से खेलने के बाद उन्हें समेटकर सहयोग दे सकते हैं ।  घर में किसी के बीमार पड़ने पर उसकी दवाई का प्रबंध करके तथा उसकी सेवा करके भी हम सहयोग कर सकते...

विश्वंभरनाथ शर्मा 'कौशिक' - लेखक परिचय (Vishwambharanath Sharma 'Kaushik' - Author Introduction)

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विश्वंभरनाथ शर्मा 'कौशिक' - लेखक परिचय यहुमुखी प्रतिभा संपन्न श्री विश्वंभरनाथ शर्मा 'कौशिक ' का जन्म सन् 1890 ई० में तत्कालीन पंजाब प्रांत के अंबाला किले में हुआ था इन्हें हिंदी, उर्दू, पंजाबी, अंग्रेज़ी भाषाओं का अच्छा ज्ञान था इन्होंने भारतीय संस्कृति, धर्म, साथना का गहनता से अध्ययन किया था इन्होंने कानपुर से मैट्रिक की शिक्षा प्राप्त की थी संगीत तथा फोटोग्राफी में भी इनकी अत्यधिक रुचि धी इनका देहावसान सन् 1944 ई० में हो गया था। कौशिक जी मूलरूप से कहानीकार थे उन्होंने आदर्शवादिता और भावुकता से परिपूर्ण कहानि्ाया लिखी थीं। रचनाएँ -विश्वंभरनाथ शर्मा 'कौशिक' एक महान् साहित्य सेवक थे। उन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से अनेक साहित्यिक विधाओं का विकास किया। इनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं- कहानी संग्रह - मणिमाला, चित्रशाला पत्र-संग्रह - दूबे जी की डायरी उपन्यास - माँ, भिखारिणी। विश्वंभरनाथ शर्मा आधुनिक साहित्य के एक श्रेष्ठ साहित्यकार थे। हिंदी भाषा के गद्य के क्षेत्र में उनका योगदान महान् है। इनका गद्य साहित्य समाज केंद्रित है। इन्होंने अपने...

जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय (Biography of Jaishankar Prasad)

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जयशंकर प्रसाद जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय (Biography of Jaishankar Prasad)  जयशंकर प्रसाद आधुनिक हिंदी-साहित्य के प्रतिभावान कवि और लेखक थे वे छायावाद के प्रवर्त्तक थे। उन्होंने हिंदी-साहित्य की कहानी, नाटक, उपन्यास, आलोचना आदि विभिन्न विधाओं पर अपनी लेखनी चलाई ।  उनका जन्म सन् 1889 ई० में काशी के सुंघनी साहू नामक प्रसिद्ध वैश्य परिवार में हुआ था। इनके पिता देवी प्रसाद साहू काव्य-प्रेमी थे। जब उनका देहांत हुआ तब प्रसाद जी की आयु केवल आठ वर्ष की थी।  परिवारजनों की मृत्यु, आत्म संकट, पत्नी वियोग आदि कष्टों को झेलते हुए भी ये काव्य साधना में लीन रहे। काव्य साधना करते हुए तपेदिक के कारण उनका देहांत 15 नवंबर, सन् 1937 में हुआ था। रचनाएँ - जयशंकर प्रसाद ने बड़ी मात्रा में साहित्य की रचना की थी। इन्होंने पद्य एवं गद्य दोनों क्षेत्रों में अनुपम रचनाएँ प्रस्तुत की थीं, जो निम्नलिखित हैं- काव्य -"चित्राधार', 'कानन कुसुम', 'झरना', 'लहर', 'प्रेम पथिक', 'आँसू', 'कामायनी'। नाटक -'चंद्रगुप्त', 'स्कं...