जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय (Biography of Jaishankar Prasad)

जयशंकर प्रसाद



जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय (Biography of Jaishankar Prasad) 
जयशंकर प्रसाद आधुनिक हिंदी-साहित्य के प्रतिभावान कवि और लेखक थे वे छायावाद के प्रवर्त्तक थे। उन्होंने

हिंदी-साहित्य की कहानी, नाटक, उपन्यास, आलोचना आदि विभिन्न विधाओं पर अपनी लेखनी चलाई । 

उनका जन्म सन् 1889 ई० में काशी के सुंघनी साहू नामक प्रसिद्ध वैश्य परिवार में हुआ था। इनके पिता देवी प्रसाद साहू काव्य-प्रेमी थे। जब उनका देहांत हुआ तब प्रसाद जी की आयु केवल आठ वर्ष की थी। 

परिवारजनों की मृत्यु, आत्म संकट, पत्नी वियोग आदि कष्टों को झेलते हुए भी ये काव्य साधना में लीन रहे। काव्य साधना करते हुए तपेदिक के कारण उनका देहांत 15 नवंबर, सन् 1937 में हुआ था।

रचनाएँ - जयशंकर प्रसाद ने बड़ी मात्रा में साहित्य की रचना की थी। इन्होंने पद्य एवं गद्य दोनों क्षेत्रों में अनुपम
रचनाएँ प्रस्तुत की थीं, जो निम्नलिखित हैं-

काव्य -"चित्राधार', 'कानन कुसुम', 'झरना', 'लहर', 'प्रेम पथिक', 'आँसू', 'कामायनी'।

नाटक -'चंद्रगुप्त', 'स्कंदगुप्त', 'अजातशत्रु', 'जनमेजय का नागयज्ञ', 'ध्रुवस्वामिनी', 'करुणालय', 'कामना',
'कल्याणी', 'परिणय', 'प्रायश्चित्त', 'सज्जन', 'राज्यश्री', 'विशाख' और 'एक घूंट'।

कहानी-'छाया', 'प्रतिध्वनि', 'इंद्रजाल', 'आकाशदीप', 'आंधी'।

उपन्यास-कंकाल, तितली, इरावती (अपूर्ण) ।

जयशंकर प्रसाद जी ने हिंदी-साहित्य को एक नई दिशा प्रदान की थी और हिंदी की प्रत्येक विधा को समृद्ध किया था। प्रसाद जी का योगदान सचमुच महत्त्वपूर्ण था। 

प्रसाद जी की भाषा-शैली परिष्कृत, स्वाभाविक, तत्सम शब्दावली प्रधान एवं सरस थी। छोटे-छोटे पदों में गंभीर भाव भर देना और उनमें संगीत लय का विधान करना उनकी शैली की प्रमुख विशेषता थी। वस्तुतः उनके साहित्य में सर्वतोन्मुखी प्रतिभा की झलक दिखाई देती है।



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