विश्वंभरनाथ शर्मा 'कौशिक' - लेखक परिचय (Vishwambharanath Sharma 'Kaushik' - Author Introduction)
विश्वंभरनाथ शर्मा 'कौशिक' - लेखक परिचय
यहुमुखी प्रतिभा संपन्न श्री विश्वंभरनाथ शर्मा 'कौशिक' का जन्म सन् 1890 ई० में तत्कालीन पंजाब प्रांत के अंबाला किले में हुआ था इन्हें हिंदी, उर्दू, पंजाबी, अंग्रेज़ी भाषाओं का अच्छा ज्ञान था इन्होंने भारतीय संस्कृति, धर्म, साथना का गहनता से अध्ययन किया था इन्होंने कानपुर से मैट्रिक की शिक्षा प्राप्त की थी संगीत तथा फोटोग्राफी में भी इनकी अत्यधिक रुचि धी इनका देहावसान सन् 1944 ई० में हो गया था।
कौशिक जी मूलरूप से कहानीकार थे उन्होंने आदर्शवादिता और भावुकता से परिपूर्ण कहानि्ाया लिखी थीं।
रचनाएँ-विश्वंभरनाथ शर्मा 'कौशिक' एक महान् साहित्य सेवक थे। उन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से अनेक साहित्यिक विधाओं का विकास किया। इनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
कहानी संग्रह - मणिमाला, चित्रशाला
पत्र-संग्रह - दूबे जी की डायरी
उपन्यास - माँ, भिखारिणी।
विश्वंभरनाथ शर्मा आधुनिक साहित्य के एक श्रेष्ठ साहित्यकार थे। हिंदी भाषा के गद्य के क्षेत्र में उनका योगदान महान् है। इनका गद्य साहित्य समाज केंद्रित है। इन्होंने अपने गद्य-साहित्य में समकालीन समाज का यथार्थ चित्रण किया। इन्होंने समाज के सुख-दुःख, गरीबी, शोषण आदि का यथार्थ वर्णन किया है। इनका सारा जीवन साहित्य- सेवा में तथा समाज-उद्धार करने में लगा रहा।
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